Scholar / Kavi Parichay

Kavi Balchandra

कवि बालचंद्र


कभी बालचंद्र ने अपभ्रंश भाषा के जैन साहित्य को समृद्ध बनाने में अपना विशेष योगदान दिया है। कवि बालचंद्र उदयचंद्र मुनिराज के शिष्य थे और इन्होंने भी मुनि दीक्षा ली थी। ये माथुर संघ के आचार्य थे। इनका समय 12वीं शताब्दी माना गया है। इनकी दो रचनाएं उपलब्ध हैं। णिददुक्ख सत्तमी कहा और नरक उतारो दुधारसी कथा। इन दोनों ग्रंथों में चरणानुयोग शैली में व्रतों के पालन से होने वाले लाभ और परिणामों की निर्मलता का वर्णन किया गया है।