Scholar / Kavi Parichay

Kavi Brahm Jay Sagar

ब्रह्म जय सागर

 

ये सरस्वती गच्छ मूल संघ बलात्कार गण में हुए हैं।  इनका समय 18 वीं सदी का पूर्वार्ध है। इनके द्वारा रचित तीन रचनाएं उपलब्ध हैं - सीता हरण, अनिरुद्ध हरण, सगर चरित।