Kavi Harichand (Dwitiya)
कवि हरिचंद (द्वितीय)
कवि हरिचंद का जन्म अग्रवाल वंश में हुआ था। इनके पिता का नाम जंडू और माता का नाम बिल्हा देवी था। इनका समय लगभग 15 वीं शताब्दी माना गया है। इनकी एक मात्र रचना अणत्थमिय कहा उपलब्ध है। इस ग्रंथ के प्रारंभ में तीर्थंकर वर्धमान की स्तुति बहुत सुंदर रूप में की गई है। इसके पश्चात रात्रि भोजन से होने वाले दोषों का वर्णन किया गया है। इस ग्रंथ की विशेष बात यह है कि रात्रि भोजन से होने वाले पापों की चर्चा चरणानुयोग शैली के साथ और रात्रि भोजन से होने वाले शारीरिक रोगों की चर्चा भी की गई है।