Scholar / Kavi Parichay

Kavi Lakshman Dev

कवि लक्ष्मण देव

कवि लक्ष्मण देव अपभ्रंश भाषा के कवियों में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं। कभी लक्ष्मण देव के पिता का नाम रत्न देव था। प्रशस्ति से ज्ञात होता है कि कवि लक्ष्मण देव मालवा देश के समृद्ध नगर गोणन्द में रहते थे। यह उज्जैन और भेलसा के मध्य का स्थान है। कवि का जन्म पोरवाल वंश में हुआ था। यह संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे। कवि का समय 15 वीं शताब्दी माना गया है। कवि की एकमात्र रचना णेमिणाह चरिउ उपलब्ध है। इस ग्रंथ की पांडुलिपि
एक प्रति जयपुर में और एक प्रति  दिल्ली में सुरक्षित है। वर्तमान में इस ग्रंथ में चार संधियां और 1350 श्लोक हैं। इसमें तीर्थंकर नेमिनाथ  के चरित्र चित्रण के साथ-साथ नीति और वैराग्य की संपूर्ण कथा का वर्णन किया है। अनेक स्थानों पर इसमें नीति वाक्य भी दृष्टिगोचर होते हैं।