Kavi Narsen
कवि नरसेन या नरदेव
कवि नरसेन का अन्य नाम नरदेव भी मिलता है। कवि के बारे में अधिक परिचय प्राप्त नहीं है परंतु प्राप्त प्रमाणों के आधार पर ऐसा निश्चित किया जा सकता है कि इनका समय चौदहवीं शताब्दी मैं रहा होगा। इनकी दो रचनाएं प्राप्त होती हैं सिद्धचक्क कहा और वडढमाण कहा
सिद्धचक्क कहा में राजा श्रीपाल और मैना सुंदरी के प्रसंग का वर्णन किया गया है। इसमें चैत्यालय की वंदना, मुनि धर्म का स्वरूप, पूर्व भव के वृतांत आदि के माध्यम से रोचकता निर्मित करने का प्रयास किया गया है।
वडढमाण कहा में तीर्थंकर वर्धमान की कथा का वर्णन है।
कवि ने ग्रंथ में अनेक अलंकारों का प्रयोग किया है। यह काव्य दृष्टि से भी अति सुंदर ग्रंथ है।
Shastra by Kavi Narsen
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