Scholar / Kavi Parichay

Kavivar Pandit Budhjanji

Kavivar Pandit Budhjanji

कविवर पंडित बुधजन जी

पंडित बुधजनजी का पूरा नाम वृद्धिचंद था। यह जयपुर के निवासी थे और खंडेलवाल जैन थे। इनका समय उन्नीसवीं सदी के बीच में अनुमानित है। बुधजनजी को नीति साहित्य के निर्माता के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त है। इनकी रचनाओं में कई रचनाएं नीति से संबंधित हैं। इनकी अभी तक निम्नलिखित रचनाएं उपलब्ध हैं -

1. तत्वार्थ बोध
2. योग सार भाषा
3.पंचास्तिकाय वचनिका
4. बुधजन सतसई
5. बुधजन विलास
6. पद संग्रह

इन समस्त रचनाओं में कवि की बहुआयामी प्रतिभा का दर्शन होता है। कवि ने दया, मित्र, विद्या, संतोष, धैर्य, कर्म फल, मद, समता, लोभ, धन आदि अनेक विषयों पर नीतिपरक उक्तियां लिखी हैं। कुछ दोहे तो तुलसी, कबीर और रहीम के दोहों से प्रेरित दिखाई पड़ते हैं। कवि के द्वारा रचित संसार की असारता का चित्रण  बहुत ही सुंदर और सजीव लगता है। बुधजनजी के पद संग्रह में अनेक प्रकार के पद्य और भजन संकलित हैं। इनके भजनों में अध्यात्मिक की अद्भुत छटा दिखाई पड़ती है। बुधजनजी की भाषा पर राजस्थानी प्रवाह और प्रभाव दोनों ही विद्यमान है। काव्य की दृष्टि से बुधजनजी का जैन साहित्य को अद्भुत और अनुकरणीय योगदान है।

Swipe Left to view more
Shastra Name Rachayita Tikakar/Translator PDF Details